एक कविता अधूरी सी 

​मैं हूँ एक कविता जो सुनी जाने की हसरत लिये बैठी है,

एक चीज़ हूँ ठुकरायी हुई जो चुनी जाने की हसरत लिये बैठी है

हूँ एक नगमा जिसे आवाज़ की चादर ने लपेटा नही है,

एक गीत जो अब तक संगीत की शय्या पे लेटा नही है
या शायद एक एहसास जो महसूस होना चाहे है,

तलाश हूँ कुछ ऐसी जिसमे बन्द ये निगाहें है

एक उड़ान जिसे ख्वाबो की उँचायी हासिल है पर पर नही,

तेरे हाथो किया कत्ल जिसका इल्ज़ाम तेरे सर नही
एक विद्रोह मगर दबा हुआ सा,तूफ़ान एक थमा हुया सा,

साँस है मगर ज़िन्दगी कहाँ है, रगो में खून मगर जमा हुआ सा

एक कहानी जिसे अंजाम मिला पर मंज़िल नही मिली,

एक सफ़र जिसे मुकाम मिला पर मन्ज़िल नही मिली
एक धोका,एक छलावा ये जीवन मेरा

पर मेरा पल पल मरना साँचा है,

और नही कुछ हक़ीक़त मेरे होने की

दर्द में लिपटा एक हाँड़-माँस का ढ़ाँचा है
तुम चाहो तो मेरे दर्द की हदे तय कर लो,

दीवारे चार गिरा दो, सरहदे तय कर लो,

मगर इस तकलीफ़ की नही सीमा कोई

मेरी बोझिल सी आँखें अब भी देख रही है

खुद में अद्रिश्य सी गरिमा कोई
वो कहानी,वो सफ़र मंज़िल भी पायेंगे कभी,

मेरे विद्रोह के तूफ़ान सभी समाज की दीवारो से टकरायेंगे कभी,

मेरी उड़ान साक्शी बनेगी मन वाँछित उँचायी की,

सच्चे इल्ज़ाम,सच्चा इन्साफ़पैगाम लायेंगे सच्चायी की

अजनबी सा एहसास वो सबो के अन्तर्मन से परिचय बनायेगा,

नज़रें देखेंगी मकसद तलाश सार्थक हो पायेगा,

मेरे नगमे और गीत ये कल आवाज़ पायेंगे,

ठुकराये गये है जो आज, कल इकरार-ए-अन्दाज़ पायेंगे,
कितना भी विचलित हो मन

समझाना खुद को ज़रूरी है,

इसलिये मेरी कोशिश जारी है

मेरी कविता अभी अधूरी है

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writersonu

I am just an open book. Just look into my eyes and you will get to know everything about me.

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